विश्व क्षितिज पर चमकेगा हिन्दी का सूर्य...☼
Thursday 21 December 2017
स्वीकार
तुममें कहीं कुछ है
कि तुम्हें उगता सूरज, मेमने, गिलहरियाँ, कभी-कभी का मौसम
जंगली फूल-पत्तियाँ, टहनियाँ – भली लगती हैं
आओ उस कुछ को हम दोनों प्यार करें
एक दूसरे के उसी विगलित मन को स्वीकार करें।
- रघुवीर सहाय
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